में अकेला ही मारूंगा गर मरूँगा कभी,
साथ तू मारा भी अगर,साथ जलेगा नहीं !!
कब साथ चला है कोई जो तू चलेगा कभी,
ख़ाक में जाना तो जिस्म को है रूह को नहीं,
कौन कहता है के तू आदमी था कभी
तू बिका है जिस तरह कीड़े भी बिकेंगें नहीं !!
खरीद फरोख्त को ही दुनिया कहते है बेवक़ूफ़
जो बिका नहीं है वो कभी कुछ खरीदेगा नहीं!
तारिक हमीद (बेवक़ूफ़)