सिर्फ एक ख़ूबसूरत शाम चाहिए
शाम हो मेरी,ये इत्मीनान चाहिए
इधर, उधर ना कहीं और जाऊँ
के बस अब थोड़ा आराम चाहिए
उठूँ सुबह तो दीदार रे शाम हो
मुस्कुराहट होटों पर आँखों में प्यार हो
देखता रहूँ शाम को शाम तक
के बस ऐसा एक हमनवां चाहिए
अब ना पीना हो शाम को
दिल ना तरसे अब किसी जाम को
नशा हो तो सिर्फ मोहब्बत का
वो शाम जिसमे पूरी ज़िन्दगी चाहिए
तारिक हमीद (बेवक़ूफ़)
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