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Tarique
Tuesday, November 3, 2009
बाद उम्र रे इंतज़ार के
बाद उम्र रे इंतज़ार के एक इंतज़ार और मिला,
वो इश्क ए
इंतज़ार
था, ये इंतज़ार ए जान मिला
कहूँ तो किस्से कहूँ , कब, क्यूं और क्या कहूँ
ना ज़िन्दगी और ना मौत ही अपनी मर्ज़ी से मिला
कहते हैं वो के मिल जायेगा गर मांगो गे दिल से
उसोलों से भरी है दुनिया, मुझे मेरा कोई एक न मिला
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)
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