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Tarique
Friday, October 2, 2009
चल रे एक सपना देखें
चल रे एक सपना देखें,
कहीं कोई अपना देखें
एक देस नहीं, एक शहर नहीं,
एक क़स्बा तो अपना देखें,
चल रे एक सपना देखें,
करे जो हम से हमरी बात,
रहे जो हरदम हमरे साथ ,
ना मज़हब, ना हो कोई जात,
आदमी ना सही, ऐसा खुदा देखें,
चल रे एक सपना देखें
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)
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चल रे एक सपना देखें
पूछता है आज का मजदूर,
छोटी सी उम्र में थक सा गया हूँ मैं
गर रखते कान मेरे घर के दरो दीवार
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