Tuesday, December 15, 2009

हाय ये आदमी, आदमी ही क्यूं हो?

आदमी का सब हो पर कोई न हो
कोई बताये के वो आदमी क्या हो?

मुहब्बत की जगह रुसवाई मिले जो अगर
आदमी वो तनहा न हो तो क्या हो?

तन्हाई ही शाएरी और इबादत है
वरना भीड़ में आदमी जाने क्या हो?

आदमी आदमी, आदमी ही आदमी है
हाय ये आदमी, आदमी ही क्यूं हो?

मज़हब आदमी का आदमी के लिए
होऊं बेअमल, बेवक़ूफ़ ना हो तो क्या हो?


तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)

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