आज 2 दिसम्बर है और आज के ही दिन ठीक 25 साल पहले Bhopal में एक शर्मनाक , दिल दहला देने वाला हादसा हुआ था. Chemical Industry का "Hiroshima" कहा जाने वाला इस Disaster पर अंग्रेजी में Rahul Verma द्वारा लिखा नाटक Bhopal को Late Habib Tanvir ने "ज़हरीली हवा" के नाम से किया है और Bahroop ने "यहाँ से शहर को देखो" के नाम से। हालांके जब ये हादसा हुआ था तब मैं बहुत छोटा था और इतनी गहराई से नहीं जानता था Bhopal gas tragedy के बारे में जितना के अब। नाटक में मुझे Warren M. Anderson की भूमिका निभाने को कहा गया जो के Bhopal Gas Disaster के समय Union Carbide के Chairman थे. मैं कुछ भी नहीं जानता था इनके बारे में, Bahroop और Research की वजह से थोडा बहुत जान पाया के कैसे आदमी पैसा कमाने के लिए किसी भी क़द का शैतान बन सकता हैं. शैतान कोई अलग प्राणी नहीं बल्कि वो इंसान ही है जो इंसान की ही बलि चढ़ा कर मुनाफा कमाना चाहता है. ये नाटक करते समय ही मुझे पता चला था के इस Disaster पर India में एक ही फिल्म बनी है और उस फिल्म पर हमारी सरकार ने Ban लगाया हुआ है. कई सालों की जद्दोजेहद के बाद मुझे ये फिल्म देखने का मौक़ा मिला जिसका नाम है Bhopal Express और जिसे Mahesh Mathai ने बनाने की हिम्मत की है. फिल्म देखते समय वो सारे दृश्य म्रेरे साथ साथ चल रहे थे जो हमलोग Rehearsal में किया करते थे.
यहाँ ये याद दिलाने की ज़रुरत तो नहीं के हमें ये कभी नहीं भूलना होगा के Union Carbide की उस ज़हरीली गैस ने 8000 हज़ार लोगों को उसी वक़्त अपना दम तोड़ने पर मजबूर किया और करीब 50000 लोगों पर बुरी तरह अपना असर छोड़ा जिसे सारी दुनिया भली भांति जानती है।
यहाँ ये याद दिलाने की ज़रुरत तो नहीं के हमें ये कभी नहीं भूलना होगा के Union Carbide की उस ज़हरीली गैस ने 8000 हज़ार लोगों को उसी वक़्त अपना दम तोड़ने पर मजबूर किया और करीब 50000 लोगों पर बुरी तरह अपना असर छोड़ा जिसे सारी दुनिया भली भांति जानती है।
आज 25 साल के बाद भी Bhopal के लोग इन्साफ के लिए लड़ रहे हैं.
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)
1 comment:
Hmm....its good. Hope they get justice soon!!!
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