Friday, October 2, 2009

छोटी सी उम्र में थक सा गया हूँ मैं

छोटी सी उम्र में थक सा गया हूँ मैं,
मौत से पहले ही मर सा गया हूँ मैं,

बच्म्पन में ही ज़ईफ़ हो चूका हूँ मैं,
कितने अजीजों की मौत पे रो चूका हूँ मैं,

बेटा, भाई, आशिक, न इंसान बन सका हूँ मैं,
ज़िन्दगी अपनी यूँ ही तुर्बत में ला चूका हूँ मैं,

अब न दो ताने बेवकूफ को ए दुनिया वालों,
के कभी न जागने के लिए सो चूका हूँ मैं
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)

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