मौत से पहले ही मर सा गया हूँ मैं,
बच्म्पन में ही ज़ईफ़ हो चूका हूँ मैं,
कितने अजीजों की मौत पे रो चूका हूँ मैं,
बेटा, भाई, आशिक, न इंसान बन सका हूँ मैं,
ज़िन्दगी अपनी यूँ ही तुर्बत में ला चूका हूँ मैं,
अब न दो ताने बेवकूफ को ए दुनिया वालों,
के कभी न जागने के लिए सो चूका हूँ मैं
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)
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