Sunday, January 3, 2010

वो मेरे दोस्त का फ़ोन था.....

















मेरे एक कमरे के फ्लेट में मेरे अलावा एक चूल्हा भी रहता है जो कभी कभी जलता है, बर्तन भी हैं जो कभी कभी एक दुसरे से टकराते हैं. उनके टकराने से जो ध्वनि निकलती  है वो मुझे बहुत अपनी सी लगती  है. शायद इसलिए के कभी इसी कमरे में मेरे दोस्तों का जमावड़ा रहता था, अच्छे अच्छे पकवान बनते थे और ये बर्तन आपस टकराते रहते. पहले, चूल्हे का भगोने से, भगोने का प्लेट से, और प्लेट का चम्मच से एक रिश्ता था. सब एक दुसरे के संपर्क में रहते थे, हमेशा! अब सब अलग थलग पड़े रहते हैं. किसी का किसी से कोई संपर्क नहीं होता, सब अकेले हैं बिलकुल मेरी तरह.


ये सब लिखने की ज़रूरत आज इसलिए महसूस कर रहा हूँ कयूं  के एक अरसे के बाद मैं रसोई घर में गया और सारी चीज़ों को ग़ौर से देखने लगा. छोटे छोटे डब्बे मसाले वाले, एक नमक का, एक चीनी का, कोने में सरसों का तेल भी था. प्लेट, चम्मच, बर्तन धोने का साबुन, सभी कुछ मौजूद था मगर जिस चीज़ की ज़रूरत मुझे अभी महसूस हो रही थी और जिसके लिए मैं रसोई घर में गया था, वो कहीं नज़र नहीं आ रहा था. बहुत ढूंढा, मगर निराशा ही हाथ लगी. आखिर हार कर कुर्सी पर बैठ गया और रसोई घर की तरफ देखने लगा तभी अचानक मेरी नज़र उस पर पड़ी, वो चूल्हे के निचे छिपा था, मैं उसे टकटकी बांधे देखे जा रहा था. मैं उठा, उसकी तरफ लपका और चूल्हा हटा कर उसे अपने हाथों में ले लिया. उस मासूम सी चाकू से जिससे कभी सब्जी काटते काटते ऊँगली काट जाया करती थी, आज उसी चाकू से मैं अपनी नस काटने जा रहा था. मैं अपनी नस काटने को ही था तभी फ़ोन की घंटी बजी, फ़ोन उठाया, वो मेरे दोस्त का फ़ोन था.....

तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)

Saturday, January 2, 2010

21st Safdar Hashmi Memorial















Stills from Charandas Chor presented by Naya theater on the occasion of 21st Safdar Hashmi Memorial Organized by SAHMAT
सच बोलने की सज़ा मौत होती है. नहीं, सिर्फ मौत ही होती है, जी हाँ यही सन्देश मिला मुझे "चरण दास चोर" देखने के बाद जो की Naya Theater द्वारा प्रस्तुत किया गया था और दिन था 1st january . ये मौक़ा था Safdar Hashmi को याद करने का. वैसे तो ये नाटक मैं पहले भी देख चूका था लेकिन इस बार इस नाटक को देखने की जो खास वजह थी वो ये के श्री हबीब तनवीर के बाद Naya Theater के कलाकार और उनकी बेटी Nagin Tanvir किस तरह इस प्रस्तुति को अंजाम देते हैं. मैं अपना कैमरा भी साथ ले गया था ताके प्रस्तुति के दौरान कुछ फोटो ले सकूँ. रंग मंच का कलाकार होने के नाते मैं बहुत ही बारीकि से नाटक को देख रहा था और खुश हो रहा था ये सोच कर के श्री हबीब तनवीर हमारे बीच ही हैं और उनको जिंदा रखने वाले हैं Naya Theater के कलाकार और उनकी बेटी. नाटक बहुत ही खुबसूरत ढंग से पेश किया गया, कलाकार जोश से भरे हुए थे, Choreography  ने नाटक को चार चाँद लगा दिया था. Chait Ram Yadav जो चरण दास चोर की और Ravi Lal Sangde सिपाही की भूमिका नाभा रहे थे, इन दोनों को अभिनय के लिए ज़ियादा नम्बर दिया जाना चाहिए. नाटक में संगीत हमेशा की तरह ही काफी अच्छा था.


नाटक ख़तम होने के बाद मेरी बात Chait Ram Yadav  जी से हुई जो की Naya Theater के बहुत ही पुराने कलाकार हैं. उन्होंने ने मुझे बताया के वो और उनके साथी कलाकार हर जगह श्री हबीब तनवीर की कमी महसूस करते हैं Rehearsal , Show , और ज़िन्दगी में. लेकिन उनकी सोच, और उनके काम को जिंदा रखना है, बल्कि जिंदा रखना ही होगा, अपने लिए, आम आदमी के लिए!

Safdar Hashmi  को और उनके काम को याद करने के लिए Sahmat हर साल 1st january को Cultural Program Organize  करता है. इस बार Naya Theater  के चरण दस चोर के अलावा बहुत सारे Progarm हुए जिसमे मदन गोपाल सिंह, विद्या शाह , Act one द्वारा गीत-संगीत की प्रस्तुति हुई और श्री हबीब तनवीर, मखदूम मोहिउद्दीन और D .D Kosambi  के बारे में किताबों का प्रदर्शन हुआ..






Still from Charandas Chor presented by Naya theater on the occasion of 21st Safdar Hashmi Memorial Organized by SAHMAT
तारिक हमीद(बेवक़ूफ़)